Friendship in fgp
कॉलज में लोग ग्रुप बनाना पहले ही स्टार्ट कर दिए थे ।अब भी मेरा कोई खाश दोस्त नही था मेरे सभी पार्टनर बिल्कुल डिफरेंट थे जैसे प्रत्युष सिंह को लेलो तो वो ऐसा बंदा था कि वो भौकाल मारने में बहुत आगे था ऐसा हमको भी लगता था बाकी उसकी रिअलिटी तब मालूम हुआ हमे जब विष्णु के कहने पे प्रत्युष ने किसी विधायक को फोन लगाकर बोल दिया कि उसके रुम में सीनियर आये थे । बस क्या था 10 मिनट बाद प्रिंसिपल सिक्योरटी के साथ हमारे रूम हास्टल में आ गए ।। पूछने लगे । इस कमरे में प्रत्युष कौन है ।। सीनियर की कद काठी पूछे । बोले नंबर नोट करो और हमे कॉल करो कोई सीनियर परेशान करे तो। हम तो बहुत डर गए थे ।।
और प्रत्युष होस्टल में इसलिए भी फेमस था कि ये होस्टल में डर्टी वाली शायरी सुनता था । हमारे रूम में भीड़ भी अक्सर उसके वजह से लगी रहती थी ।। और यशवन्त बस इसी बात से प्रत्युष से बहुत नाराज रहा करते थे । बंदे के पास टैलेंट था लिखने का साल भर पढ़ाई नही किया । अच्छे नो से पास हो गया था
वही दूसरे पार्टनर हमारे प्रिय मित्र जिनसे कोई बोलने से भी डरता था मुड़ी आदमी बिल्कुल अलग आये दिन किसी न किसी से झगड़ा किये रहता था और रूम में पंच , रॉड रखता था यहाँ तक मुन्ना को भी नही छोड़ा था जो नाईट में attnadnce लेने आता था इनका तो किसी से बनती ही नही थी । रूम में तो रहते थे हम लेकिन इनसे हम बहुत डरते थे । है वैसे बाद में हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए । विष्णु को टेबल टेनिष का बहुत शौक था बंदे ने स्टार्टिंग में ही 2200 का रैकेट खरीद लाया था टेबल टेनिष और मार के लिए ये बंदा होस्टल में femous हो गया ।।
रवीश के बारे में तो मै बताया ही था लेकिन कुछ हमारी दोस्ती की इलेक्ट्रॉनिकस ब्रांच में कोई मेरा साथ दिया था तो वो था रविश ।
रविश स्टार्टिंग में जब आया था काफी पतला दुबला था ये तो साला सच मे चाइनीस था इतना तेज बोलता था कि मुझे आधी बात समझ आये आधी बाहर हो जाये ।। अपना हॉबी बताता था सिंगिंग । हा ये भी था कोई कह दे तो गाना गाता भी था चाहे आवाज जैसी भी थी । इसका साले का रूटीन ही अलग था । अर्ली मॉर्निग तीन बजे ही उठ जाता था गलियारे में गाना गाते हुए नहाने पहुच जाए । शनि भगवान की सुबह सुबह ही कर लेता था ये इसका रोज को रूटीन था ।
बंदे में एक खास बात और थी उसके सामने चाहे जो हो किसी से डरता नही था ।
स्टार्टिंग में रविश , सचिन , सुभम चौहान से बहुत बनती थी हमसे उतना कोई लगाओ न था । चौहान से झगड़ा होने के बाद हम रवीश ज्यादा साथ मे रहने लगे थे ।।
सचिन वैसे ही ये भाई साहब थे पढ़ने से ज्यादा मस्ती करने में रहते थे । इनसे लगाव हमारा रविश के द्वारा हुवा । कॉलेज में स्टार्टिंग से ही बॉलीबॉल गेम हुवा करता था ।सचिन अच्छा खेलता था जिसके वजह से सीनियर के नजर में आ गया था बॉलीबॉल के स्टार प्लेयर्स , सैफ उल्लाह सर्, रिज़वान साहिल सर् , अनुराग सर् से जल्द ही इनकी बनने लगी थी
इधर हम् अब भी femous होने का जरिया ढूंढ रहे थे । क्रिकेट टूर्नामेंट खत्म होने के बाद । हमारे सीनियर नीरज सर् ग्राउंड में आये लगभग 7 बजे और हम एलेक्ट्रिनिक्स वाले स्टूडेंट्स को ग्राउंड पे बुलाये । उन्होंने हर साल होने वाले गेम्स के बारे में बताये ।और अपने ब्रांच को चैंपियन बनने के लिए सब को पार्टिसिपेट करने को बोले ।उन्होंने कहा कि गेम्स में ट्रॉफी मिलती है नाम होता है लोग जानने लगते है सेशनल अच्छे मिलते है ब्रांच के लिए नही तो अपने लिए पार्टिसिपेट करो और नीरज sir ने यह भी बताये कौन कौन गेम्स होते है ।।
Sir सबसे अपना अपना गेम चॉइस पूछे मैं वैसे किसी भी गेम में अच्छा नही था लेकिन मैं ये सोच लिया था ये मौका बहुत अच्छा है फेमस होने का । गांव से होने के कारन इतना था कि दौड़ लगा सकता था ।। मैंने बोला सर मैं रनिंग करूँगा । ये सब सुनने के बाद सर् बोले साम में सबको ग्राउंड पे आना है । नीरज सर् बहुत अच्छे रेसर थे साम को रोज रनिंग करने आते थे उनके साथ कामरान सर् , केशव चौधरी सर , मेकैनिकल के स्टार 100मीटर हीटर कुंवर इंद्रेश मोहन प्रताप सिंह अपनी रनिंग के लिए बहुत femous थे । वो भी साम में ग्राउंड पे आया करते थे । मुझे सर् का सपोर्ट मिला मेरी प्रैक्टिस जारी रही । सर् हमेशा बोलते थे तुम और अच्छा कर सकते हो । रोज मेरे साथ रनिंग करो तुम्हारि एक प्लेस पक्की है ।।
वैसे कॉम्पटीशन तीन ब्रांचस में ज्यादा रहती थी एलेक्ट्रिनिक्स, मेकैनिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन , क्योंकि एलेक्ट्रिनिक्स में 400, 800, 1500 के स्टार रेसर नीरज सर थे ,
और मैकेनिकल में 100,200,हाई जम्प ,लॉन्ग जम्प के स्टार अथिलिट् इंद्रेश सर् थे । गेम्स टाइम के हूटिंग कौन भूल सकता है ।specially हूटिंग किंग आनंद दुबे सर् ये एक ऐसे सर् थे जो गेम्स में हूटिंग के लिए फेमस होगये । हूटिंग् के अलग रीमिक्स लेकर आये ।।
गेम्स स्टार्ट हुवा और मेकैनिकल 65 अंक के साथ चैंपियन बन गयी । एलेक्ट्रिनिक्स में ज्यादा लोग पार्टिसिपेट ही न किये कुछ लोगों को छोड़ कर
जैसे पूजा सोनी मैम , पूजा सिंह मैंम ,शांति मैंम, सुरेन्द्र सर् ,नीरज अकेले क्या कर सकते थे
जैसे पूजा सोनी मैम , पूजा सिंह मैंम ,शांति मैंम, सुरेन्द्र सर् ,नीरज अकेले क्या कर सकते थे
एक और दिलचस्प कहानी इसमे ये है नीरज लॉन्ग रेस करते थे लेकिन सर् ने 200 मीटर में भी पार्टिसिपेट किये । क्योंकि कुछ लोग ये कहते थे कि नीरज , इंद्रेश के अपोज़िट इस लिए नही दौड़ते है कि ये उनसे रेस हार जाएंगे ।। 200 मीटर की रेस स्टार्ट हुई ये रेस जितनी रेस हुई थी सबसे इंटरेस्टिंग थी कॉम्पटीशन केवल नीरज सर् और इन्द्रेश सर् में था इन्द्रेश सिर हल्के में ले रहे थे ।। इन्द्रेश सर् स्टार्टिंग में ही खींच दिए आगे जा रहे थे सभी लोग सोच रहे थे इन्द्रेश सिर ही जीतेंगे लेकिन लांग अपनी ताकत आधी रेस मारने के बाद लगता है वही हुवा 100 मीटर के बाद नीरज सर् अपनी स्पीड बढ़ाते है ।। टर्निंग आते आते दोनों बराबर हो जाते है ।। फिनिशिंग पॉइंट आते आते नीरज सर् गिर जाते है ।। स्पाइक पहन कर दौड़ने की आदत न होने के कारण सर् गिर गए थे । वैसे सभी लोग यही कह रहे थे यदि सर् गिर न जाते तो नीरज सर् ही विनर होते ।
वैसे यहाँ एक और कहानी जुड़ी हुई है सर् को बहुत लड़किया पसंद करती थी ।। संयोग से सर् जिस स्थान पे गिर गए थे उसी स्थान पे एक हमारी सीनियर मैडम भी गिर गयी थी ।। ये चर्चा बहुत दिनों तक चली और आज भी चल रही ह लेकिन रिजल्ट कुछ मिला नही ।। की उस मैडम के गिरने का कारण क्या था नीरज सर् के प्रति प्यार या भगवान की कृपा।। अब ये तो सर् और मैंम ही बता सकते है
अब रही बात मेरी मैने गेम्स के 1500 मीटर रेस में पार्टिसिपेट भी किया और विनर भी हुवा एलेक्ट्रिनिक्स फर्स्ट ईयर से सिर्फ मेरे विनर होने की वजह से होस्टल और कॉलेज में फेमस हो गया ।। फर्स्ट ईयर का लड़के 1500 मीटर में प्लेस लाया ।। उससे कही ज्यादा प्यार मेरे सीनियर्स ने मुझे दिया मैं एकलौता लड़का था जो सुपर सीनियर्स की पार्टी में बुलाया गया था नीरज सर् ने मुझे सारे सीनियर्स और सीनियर मैंम लोगो से मिलवाये।। मैं बहुत खुश था क्योंकि फेमस हो गया था और लोग मुझे जानने लगे थे ।
अब मैं सिर्फ ये सोच रहा था क्या उसने भी मेरी रेस देखी थी
साथ के कई लड़को से पूछ वो दिखी थी या नही । रेस देख रही थी या नही ।। सभी लोग कुछ न कुछ मुझे जरूर कह रहे थे । नया नया फसबूक चलाना स्टार्ट हुवा था क्लास की कुछ गर्ल्स का फ़्रेंड् रिक्वेस्ट भी आ गया था ।। बहुत प्यार मिला मुझे क्लास से भी और कॉलज से भी ।।
अब इंतजार था तो उस लड़की का जिसने मुझे रिजेक्ट किया था मेरे purpose करने के बाद से मुझसे बोली नही थी और न ही मेरे में हिम्मत ।।
अब मैं अपनी अगली स्टोरी में बताऊंगा की वो लड़की फिर से मुझसे कब बोलती है
People had already started forming groups in the collage. I still had no good friend, except the partner from Saturn, everyone in the partner was totally different like take Pratyush Singh, he was such a guy that he was very much in front of me. It seemed to us as well that the rest of his realities came to know when we asked Vishnu to call a legislator and say that senior was in his room. What was the bus 10 minutes later the principal came to our room hostel with security. Started asking Who is the person in this room? Asked for the height of senior. We were very scared.
And every person was famous in hostel because he used to listen to dirty shayari in hostel. The crowd in our room was often engaged because of that. And Yashwant used to be very angry with Pratyusha just for this. The man had talent and did not study for a year. Had passed with a good no
The same other partner, our dear friend, from whom no one was afraid to speak, the twisted man had a fight with someone on different days and kept punch, rod in the room and did not even leave Munna who used to come to the night to take attnadnce. They were not made by anyone. We used to live in the room but we were very afraid of them. Well later on we became very good friends. Vishnu was very fond of table tennis. The band had bought a racket of 2200 at the start itself. For the table tennis and mara, this guy became femous in hostel.
I had told about Ravish, but if someone had supported me in the electronic branch of our friendship, it was Ravish.
When Ravish came in starting, he was very thin lean, he was really Chinese, he used to speak so fast that I understood half the point and half was out. Singing used to tell his hobby. Ha yeh bhi tha koi kahi de toh gaana sang song even if the voice was the same. The routine of his brother-in-law was different. Early morning used to get up at three o'clock to reach the bath singing the song in the corridor. Shani used to do God's work in the morning, this was his daily routine.
There was one more important thing about the man and he was not afraid of anyone in front of him.
In starting, Ravish, Sachin, Subham Chauhan were very much attached to us. After the quarrel with Chauhan, Ravish started living more together.
Sachin was like this brother, he used to enjoy more than reading. He was attached to us by Ravish. He used to play a volleyball game right from the start of college. Sachin used to play well due to which seniors got noticed, soon they were made from the star players of Saif, Saif Ullah Sar, Rizwan Sahil Sar, Anurag Sar
Here, we were still looking for a way to be femous. After the cricket tournament is over. Our senior Neeraj came to the ground around 7 pm and we called the students with electronics on the ground. He told about the games to be held every year. And he asked his branch to participate in order to become champions. He said that the trophy is found in the games, there is a name. Participant Bakarn and Neeraj sir told themselves who are the games.
Sir, everyone asked his own game choice, I was not good in any game, but I thought that this chance is very good to be famous. Being from the village, there was so much that one could run. I said sir, I will be running. After hearing all this, everyone said that everyone has to come to the ground. Neeraj Sar was a very good racer, Sama used to come running every day with him, Kamran Sar, Keshav Chaudhary sir, Kunwar Indresh Mohan Pratap Singh, the star of 100 meter heater Kunwar was very feminous for his running. They also used to come to the ground on the occasion. I got the support of Sur, my practice continued. Always used to say that you can do better. Run with me everyday, you will get a place.
By the way, the competition was more in the three branches. Electronics, mechanical, instrumentation, because the electronics had 400, 800, 1500 star racer Neeraj heads, and mechanical had 100,200, high jump, long jump star athlete Indresh Sar. Who can forget the hooting of games time. Especially Hooting King Anand Dubey Ser. He was one of those who was famous for hooting in games. Brought different remixes of Hooting.
Games started and Mechanical became the champion with 65 points. In electronics, more people did not participate, except few people like Pooja Soni Maam, Pooja Singh Manam, Shanti Manam, Surendra Sar, Neeraj, what could they do alone
Another interesting story in this is that Neeraj used to race long but Sear also participated in 200 meters. Because some people used to say that Neeraj does not run against Indresh because he will lose the race to them. The 200 meter race started, the race was the most interesting as the competition was only in Neeraj Sur and Indresh Sur. Indresh was taking his head lightly. Indresh Sar was dragged ahead in the start, all the people were thinking Indresh would win the head but long after hitting half his strength, it seems that after 100 meters, Neeraj Sur increases his speed. Both are equal as they turn. Neeraj Sar collapses as he comes to the finishing point. Sire collapsed due to not having a habit of running wearing a spike. By the way, all the people were saying the same thing, if Neeraj Sur would have been a winner if he had not fallen.
By the way, there is another story attached here. Ser was very much liked by girls. Incidentally, one of our senior seniors had also fallen at the same place where Sar fell. This discussion lasted for a long time and is still going on but the result was not received. What was the reason for the fall of that madam, love towards God or grace of God. Now only this and I can tell
Now I also participated in the 1500 meter race of the Games and the winner also became famous in hostel and college due to my being a winner from the first year. First Year Boys brought the place in 1500 meters. My loved ones gave me more than that. I was the only boy who was invited to a party of super seniors, Neeraj Sar introduced me to all seniors and senior memes. I was very happy because I became famous and people started getting to know me.
Now I was just wondering if he too saw my race
Asked many of the accompanying boys whether she was seen or not. Seeing the race or not. Everyone was saying something to me. The new Fusbuk was started running and the friend request of some girls of the class had also come. I got a lot of love from the class and also from the collage.
Now I was waiting for the girl who had rejected me, since I did not speak nor did I have courage.
Now in my next story, I will tell you guyees when that girl speaks to me again
Ek number bhai
ReplyDeleteThanks sir
DeleteBahut sundar, lajbab, fantastic, super
ReplyDeleteThanks sir
DeleteNice memories collection
ReplyDeleteThanks
DeleteSuper...
ReplyDeleteThanks
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