First day of my college

सबसे पहले मैं बता दूं मेरा नाम धर्मेन्द्र कुमार है ये मेरी कॉलेज से लेकर दिल्ली तक की कहानी है मैं आप लोगों से शेयर कारने  जा रहा हूँ । वैसे मैं बता दूं मैं इलाहाबाद का रहने वाला हुन एक  माध्यम वर्ग की फैमिली से हुन ।

                                   
पापा के न होने की वजह से मेरे पढ़ाई लिखाई का खर्च मेरे भाई लोग देखते थे । मैं समझता था कि मेरे भाई लोग कब तक मेरे पीछे पैसे खर्च करेंगे । जिससे मैने हाई स्कूल में ही निर्णय ले लिया की मैं पॉलीटेकनिक का एंट्रेंस एग्जाम दूंगा और गोवमेंट कॉलेज से डिप्लोमा लेकर जल्दी ही जॉब करने का मन तब ताकि मैं अपने भाइयों पर बोझ न बनु ।

एग्जाम दिया एंट्रेंस फाइट कर लिया । मैं बहुत खुश था ।मम्मी भी बहुत खुश थी मेरी मानो मेरी नौकरी लग गयी कही न कही मैं भी ऐसा ही सोच रहा था कि अब क्या ह मेरी तो जॉब पककी हो गयी है ।




कॉउंसलिंग करवाने के बाद मुझे फ़ीरोज़े गांधी पोलिटेक्निक रायबरेली मिला ।। मैं बहुत खुश था कॉलेज में एडमिशन हो गया था होस्टल भी मिल गया था भैया मुझे छोड़ने गए थे । मै बहुत खुश भी था  और मम्मी से दूर जाने का गम भी घर मे सबसे छोटा लड़का होने के कारण मम्मी मुझे बहुत प्यार करती थी । और मैं भी मम्मी के बिना रहता ही नही था मम्मी कही भी जाती थी मुझे अपने साथ ले जाती थी ।।

हाई स्कूल में आपकी उम्र ही क्या होती है मम्मी भी यही सोच रही थी कैसे रहेगा मेरे बिना । मुझे भी लग रहा था मम्मी के बिना कैसे रहूंगा । लेकिन खुसी इस बात की भी थी कि मैं तो इंजीनियर बनने जा रहा हूँ।।


ये मेरा पहला एक्सपीरियंस था कि मैं ट्रैन पे बैठा मोर्निंग का समय था गंगा गोमती एक्सप्रेस इलाहाबाद से लखनऊ रोज की ट्रैन है भैया दो टिकेट लिए और हम जनरल में जाकर बैठ गए । भैया जिस सीट पे मुझे बैठा दिए थे । जब तक हमारा स्टेशन नही आ गया हम खड़े तक न हुए थे । ट्रैन यात्रा का ये मेरा पहला  एक्सपीरियंस था और भैया होस्टल छोड़ कर वापस आ गए और जाते समाय नोकिया 1100 मोबाइल दे गए । काम पड़े तो फ़ोन करने के लिए मैं और खुश हो गया


English translation.
First of all, let me tell my name is Dharmendra Kumar, this is my story from college to Delhi, I am going to you.  By the way, let me tell that I am a resident of Allahabad from a family of a middle class.

 Due to the absence of a father, the expenses of writing my studies were seen by my brothers.  I used to understand how long my brother would spend money behind me.  With which I decided in high school that I will give the entrance exam of Polytechnic and that I would like to take a diploma from Govt. College soon so that I do not become a burden on my brothers.


 The exam was given and the entrance fight was done.  I was very happy. My mother was also very happy, as if my job took place somewhere or I was thinking the same thing now that my job has been caught.


 After counseling, I got Feroze Gandhi Polytechnic Rae Bareli.  I was very happy I got admission in college, hostel was also found, brother had gone to leave me.  I was also very happy and because of being the youngest boy in the house, the mother loved me very much.  And I did not even live without a mother, mother used to go anywhere and take me with her.


 What is your age in high school, mother was also thinking how she would be without me.  I also felt how I would live without a mother.  But Khusi was also of the opinion that I am going to become an engineer.


 This was my first experience that I was sitting on a train, it was morning time, Ganga Gomti Express from Allahabad to Lucknow is a daily train Bhaiya took two tickets and we sat down in General.  Brother, the seat on which I sat.  We did not even stand until our station arrived.  This was my first experience of a train journey and Bhaiya left the hostel and came back and gave away Nokia 1100 mobile.  I became more happy to call if I had to work.


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