फिरोज गांधी पॉलिटेक्निक (fgp) के कुछ खाश लड़के ।
नीरज भारती
कॉलज में कुछ ऐसे लड़के थे जी स्टार्टिंव से ही कुछ अलग कर रहे थे उसी में से एक लड़का थानीरज भरती । ये इंस्ट्रुमेंटशन का लड़का वैसे भी इंस्ट्रुमेंटशन में जितने लड़के थे मस्ती करने करने वाले थे । नीरज कद में छोटा था लेकिन बहुत जल्दी ही अपनी पहचान होस्टल में बना लिया था । ये वो ऐसी सिटी मरता था कि आवाज गर्ल्स हॉस्टल को भी पार कर जाती थी ।अलग अलग प्रकार की सिटी मरता था । यहॉ तक कि इसकी सिटी की आवाज डायरेक्टर सर् के कानों तक भी गयी । अपनी सिटी व शायरी की वजह से अपना नाम बना लिया । दिलचस्प बात तो तब हुई । जब 15 अगस्त में इसने एक बिरहा टाइप का गाना गया और स्टार्ट भी शायरी से किया अंत भी
एक शायरी से किया ।वो शायरी इस प्रकार थी ।और सभी के दिल मे जगह बना लिया
नीरज की ही एक और होस्टल की कहानी है भूत इसी के रूम से स्टार्ट हुवा था पता नही सायद कोई मार दिया था । भूत का अफवाह होस्टल में फैलाने के लिए । और ये जनाब
शमशेर आलम मेकैनिकल के पास जाकर कहते है की भूत ने मुझे थप्पड़ मारा है । नीरज पहले साल के बाद ही गयाब हो गया । अब तो फेशबुक पे कभी कभी उसकी पोस्ट दिखाई देती है । ऐसा लगता है उसने शादी कर लिया । ये बात बिल्कुल सही है उसके शायरी के अनुसार लड़के ने सबके दिल मे एक खनक छोड़ कर चला गया आज तो फेसबुक पे भी रिप्लाई नही देता है । अगर मैं शमशेर आलम भी की बात कर तो ये उन शरीफो में आते थे जिनका सिर्फ पे ही ध्यान रहता था । मैं अगले कुछ पोस्ट में ऐसे ही लोगों के परे में जिक्र करूँगा जो पढ़ाई पे ध्यान दिए और उसी में डूबे रहे गए । अपनी कॉलज लाइफ भी सही तरीके से न जी सके । आज वो हमसे कहते है काश हम भी थोड़ा मस्तीनकिये होते ।। तो इस कहानी में तो नाम होता ही , और खुद किसी को बता सकते कि हमने भी कॉलज लाइफ व होस्टल लाइफ जिये है।
TT हॉल के सामने टॉयलेट
Mom ब्रांच के लड़कों को एक अलग ही रूम में सभी लड़को को रखा गया था उसको TT हॉल बोलते थे । उसको हम लोग प्यार से लंका बोलते थे और बोले भी क्यों न ये लड़के किसी से कोई मतलब नही रखते थे ।ऐसा लगता भी था सभी लोग को की ये अलग ही देश के होस्टेल में किसी से कोई मतलब नही रखते थे । कुछ लडको से बहस भी हो गयी थी । मेरे ख्याल से विष्णु पटवा से भी झगड़ा हो गया था । बस हमारे ही रूम के आस पास के लड़के TT हाल के सामने ही टॉयलेट करना स्टार्ट कार दिए । सब की नज़रों में अच्छा बनने वाले लड़के ही tt हाल के सामने टॉयलेट किया करते थे । कर भी क्या सकते थे MOm वाले लड़के ,लड़के कब टॉयलेट करके चले जाते थे ।।
दिवार फांदकर कर बाहर जाना , और पकड़े जाना,
बाहर जाने का ज्यादा मौका नही मिलता था । कुछ लड़को में होस्टल के पीछे ही दीवाल तोड़ दिए थे । जिससे लड़के रात कुछ लोग दिन में भी बाहर जाया करते थे । अक्सर लड़के नाईट में बाहर जाया करते थे। मैं नाईट में कभी बाहर गया नही था । विष्णु अपनास्टार भाई मोहसिन, रविश ,मेरे ख्याल से सौरभ भी था अक्सर खाना खाने के बाद सब लोग ग्राउंड में टहलते थे । उसी समय हम लोग भी होस्टल से बाहर आते है मीन्स जाते समय होस्टल गेट से ही बाहर निकले थे और दिवाल दीवाल डाक कर चले गए थे । लौटते समय ये लोग दीवार के पास आकर पहले देख लिए की ग्राउंड में कोई टहल तो नही रहा है । डायरेक्टर सर् के आवास के सामने भी देख लिए क्योंकि अक्सर सर् रात में टहला करते थे । देख लिए कोई नही था लड़के बारी बारी दीवाल डाक गए । बचा मैं लास्ट में , मेरे दीवाल डॉकते डॉकते वो लोग होस्टल में चढ़ गए । मैं ये सोचा कि सब लोग गेट साइड से गये होंगे । मैं गेट के साइड जा ही रह था देखा कि की विष्णु जहाँ पे छात्रवास लिखा हुआ है उसी के बगल से ही चढ़ रहा था मुझे ये लोग बिल्कुल बताये भी नही थे कि हम लोग यहॉ से चढ़कर होस्टेल में प्रवेश करेंगे । होस्टल का गेट बंद था मुन्ना गेट पास ही था हम तो पकड़े गए।। उस दिन तो हम बच गए किसी तरह लेकिन वार्डेन सर् की नजर में आ गए थे ।
रवीश और विजय भान से झगड़ा
विपुल , चंदन , शनि , अरविंद , प्रशान्त ये सब हमारे पडोशी थे सब लोग गैलरी में मस्ती करते थे । वहाँ से पूरा ग्राउंड दिखता था । ।
बात ये थी हम लोग जहाँ खड़े होते थे सेकंड फ्लोर से अक्सर कोई ब्रश करके थूक देता था हम लोगों की गैलरी गंदी हो जातीं थी । ऐसा ही रोज होता कई बार रवीश ने ऊपर जाकर मना भी किया । लेकिन तो भी रोज ऐसे ही होता था । एक दिन की बात है । रवीश गैलरी में ही खड़ा था ऊपर से कोई ब्रश करके थूंका रवीश के ऊपर आ गया । रवीश उस समय बहुत पतला दुबला था लेकिन किसी से डरता नही था । नीचे से ये भी गाली दिया ऊपर से विजय भान ने भी गाली दिया । बस बात आगे बढ़ गयी मैं अपने रूम से बाहर निकला । देखा तो दौड़ते हुए रवीश ऊपर जा रहा था विजय भान से झगड़ा करने अब मैं सोचा अगर मैं नही जाऊंगा तो रबीश पिट जाएगा ।
मैं दौड़ कर ऊपर गया । ये दोनों बात चीत ही कर रहे थे । मैं विजय भान को पकड़ लिया कि कही रवीश को मार न दे । वो काफी तगड़ा था रवीश से , मैं जैसे ही विजय भान को रबीश ने चार पांच हाथ मार दिया उधर सचिन भी ऊपर आ उसने भी अपने हाथ साफ कर लिए ।
शाम में सचिन और विजय भान ग्राउंड में भी मार पीट किये ।
उसके बाद रामचंद्र सर् रविश , सचीन विजय भान और मुझे ऑफिस में बुलाये। मैं तो यही सोचा था मेरी कोई गलती नही है झगड़ा तो ये लोग किये । ।
वहाँ सब लोग इक्क्ठा हुए । सर् सबको छोड़कर मुझे ही दो ,तीन हाथ मार दिए , और ये बोल दिए कि तुम इन दोनों रवीश और सचिन का साथ छोड़ दो , चलो वो सब तो ठीक था मुझे दुख इस बात का था । उन दोनों को एक भी थप्पड़ नही मारे और मुझे , दो तीन दे दिए । मैं चला आया रूम में रो रहा था । बाद में सर् आये और मुझे समझाने लगे दखो तुम उन लोगों का साथ छोड़ दो वो लोग इंटर बाद आये है । डिप्लोमा पास कर लेंगे । तुम हाई स्कूल से आये हो फेल हो जाओगे । उस दिन के बाद सर् के कुछ बातों का असर हुआ और पढ़ाई पे भी मैं और ज्यादा ध्यान दिया । यशवंत के साथ और ज्यादा समय देने लगा पढ़ाई में ।।
अभी होस्टल के और भी स्टोरी है जो मैं अपने अगले पोस्ट में लेकर आऊँगा।।
Bahut sahi...ab to cha jaoge...
ReplyDeleteOsm
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