FGP कैसा पॉलीटेकनिक कॉलज है।
फिरोज़ गांधी पॉलीटेकनिक (fgp) मैं कितनी बार तारीफ करूँ। इस कॉलज की जहाँ हमने तीन साल बिताए । जब मैं कॉलेज में एड्मिसन लिया था तब सोच रहा था कि ये तीन साल कैसे काटेंगे । कॉलज से निकलते वक्त ये सोच रहे थे ।ये तीन साल कितने जल्दी बीत गए । हम समझ ही नही पाए की कब ये तीन साल गुजर गए । कॉलज के अंतिम दिनों में बस यही सोच रहे थे । काश पॉलीटेकनिक छः साल का होता तो हम कुछ और दिन यहाँ रहे पाते।
जब मैं fgp के बारे में सोचता हूँ । मन मे अजीब सी फीलिंग्स आती है । मन करता है क्यों न एक बार फिर कॉलज घूमने चला जाऊं।। अगर पढ़ाई की बात करूं तो । पढ़ाई में कोई कमी नही है यहां क्लास रोज चलती है मेरे बहुत सारे दोस्त अलग अलग पॉलीटेकनिक कॉलज में एडमिशन लिए थे । उन लोगों से बात हुवा करती थी । वो बताया करते थे । कि वहाँ रोज क्लासेस नही चलती है । अक्सर देखने को मिलता है कि पॉलीटेकनिक में रिजल्ट देर से आते है । तो दूसरे कॉलज में जबतक रिजल्ट नही आ जाता सेकंड ईयर की क्लास नही चलती है । लेकिन fgp में ऐसा कुछ नही है । यहाँ रिजल्ट से कोई मतलब नही रहता है क्लास टाइम से स्टार्ट हो जाती है । ऐसा है हमारा fgp पॉलीटेकनिक।।
कुछ बातें और fgp के ।।
Fgp पॉलीटेकनिक में क्रिकेट टूर्नामेंट
Fgp क्रिकेट टूर्नामेंट भी हुवा करता है । और लड़कों उत्साह बढ़ाने के लिए ट्रॉफी और मैडल दिए जाते है ।
कुछ बातें मेरे समय की
हर साल कॉलज में क्रिकेट टूर्नामेंट हुवा करता था। सभी ब्रांच अपनी अपनी टीम का सेलेक्शन कर रही थीं। ब्रांच वाइज टीम बनने के कारण लोग अपने अपने ब्रांच में बटने लगे थे । मतलब ब्रांचवाद होने लगा था।हम एलेक्ट्रिनिक्स वाले थे । हमारी टीम उतनी अच्छी नही थी ।
मेकैनिकल का दबदबा था । क्योंकि ग्राउंड पे ऐसे ही मैच हुवा करता था तो होस्टल से मेकैनिकल के ही सुभम पांडेय जिसकी बॉलिंग बहुत अच्छी थी साथ मे बैटिंग भी बहुत अच्छा करता था । मोदन वाल मेकैनिकल ये भाई सिर्फ छक्के से ही बात करते थे । तो ऐसा लगता भी था कि मेकैनिकल टूर्नामेन्ट जीतेगी।
इंस्ट्रुमेंटशन एंड कंट्रोल ये टीम भी अच्छी थी लेकिन सब यही सोच रहे थे कि मेकैनिकल जीतेगी ।। इंस्ट्रुमेंटशन में अनुराग शुक्ल सर्, सैफ़ सर् , रिज़वान साहिल सर्, आशुतोष मौर्य प्रथम वर्ष की सपोर्ट से इंस्ट्रुमेंटशन ने टूर्नामेंट जीत लिया ।।
हम तीन साल कॉलेज में थे और तीनों साल इंस्ट्रुमेंटशन का ही क्रिकेट में जलवा रहा । तीनो साल विजयी इंस्ट्रुमेंटशन एंड कंट्रोल ब्रांच रही थी।
मुझे याद आता है जब क्रिकेट हुआ करता था । कितना ब्रांचवाद हुवा करता था बहुत मस्ती हुवा करती थी।
ग्राउंड के सीढ़ियों पे बैठ कर हूटिंग करना अपने ब्रांच को सपोर्ट करना कौन भूल सकता है जो उन दिनों को बहुत अच्छे जिया है ।यही से ब्रांच वाद स्टार्ट होता है और वो कॉलज गेम तक ले जाता है । कॉलज गेम में तो लोग एक दूसरे को कट्टर निगाहों से देखा करते थे । अक़्सर रूम में अलग अलग ब्रांच के लड़के रखे जाते हैं। तो लड़के अपने ब्रांच को सपोर्ट करने के लिए रूम पार्टनर से बहस कर लेते थे ।
Fgp में सपोर्ट्स की सुविधा
Fgp में गेम खेलने की अच्छी सुविधा है ।fgp में गेम में लड़के इंट्रेस्ट भी बहुत लेते है । जोनल में बाहर के लड़के आते थे तो यही कहते थे कि आपके यहाँ proper सिखाया जाता है । ट्रेनिंग दी जाती है जो कि ऐसा कुछ नही था । fgp के सीनियर्स गेम का इतना क्रेज दे कर जाते है। कि जूनियर्स अपने से ही शीख लेते है।fgp में 2-2 बॉलीवाल कोर्ट है ।
टेबल टेनिश हॉल बिल्कुल seprate है ।
Battminton कोर्ट का कोई जवाब नही है । gorund का कोई तोड़ नही है fgp का ग्राउंड सभी लोग बहुत पसंद करते है । क्यों न पसंद करे बहूत अच्छा ग्राउंड है। क्रिकेट खेलो ,फुटबॉल खेलों, रनिंग करो , इतना सूटेबल ग्राउंड है । हमारा तो तीन साल Fgp के ग्राउंड में ही बीत गए । साथ मे यहाँ पर जिम की सुविधा है । कॉलज गेम में इसका मेडल भी दिया जाता है।
हमारे समय मे sports teacher उमेश चंद्र कला सर् थे । मैं अब इनकी क्या तारीफ करूँ। अक़्सर साम में सर् बैटमिंटन कोर्ट पर आ जाते थे । सर् इस उम्र में इतना अच्छा खेलतें है मुझे विस्वाश ही नही होता था। सर् की उम्र 58 aboveहै । उसके बाद टेबल टेनिश खेलते थे । उन लड़कों को धूल चटा देते थे । जो नव युवक है। सर् अपने समय मे ऐसा कोई गेम नही था जो नही खेलते थे । यही वजह थी कि उनको कॉलज स्पोर्ट टीचर बनाया गया था । कुछ लोगों से सुना था मैं की काला सर् स्पोर्ट्स की वजह से 5 साल में डिप्लोमा पास किये थे ।। feroz gandhi polytechnic rae bareli हम कैसे भूल सकते है उन दिनों को जो हमने वहाँ बिताए है। fgp , fgp,fgp
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