Feroze gandhi polytechnic.+ Hostel life

होस्टल से बाहर जाने वाला पहला ग्रुप 


नए नए जब हम लोग होस्टल आये थे । तब हम लोगों को सरदार का खाना अच्छा नही लगता था । और हम लोगो को बाहर जाने का पास भी जल्दी से नही बनता था । दो टाइम ही खाना मिलने के कारण अक्सर भूख भी लग जाती थी। बहुत लड़के चने खरीद कर रख लिए थे उसे भिगो कर सुबह नास्ता करते थे । मैंने कभी अपनी लाइफ चने भिगोकर सुबह में नही खाया  था ।मैं भी चने खरीद कर रख लिया था। क्या करता नाश्ता तो मिलता नही था । ये तो होस्टल का ट्रेन्ड बन गया था मैक्सिमम लोग सुबह में चने चबाया करते थे ।
 कॉलज में आये 8,10 दिन हुए थे लड़के शैतानियां करना स्टार्ट कर दिए थे । एक दिन सरदार जी ऐसे ही सायद कढ़ी बनाये थे लड़को को खाना राश नही आया ।
तो लड़को ने प्लान बनाये दीवाल डाक कर   बाहर जाने का  मैं अपनी पिछली  पोस्ट मे बताना भूल गया कि वो कौन लड़के थे । जो सबसे पहले स्टार्ट किये थे बाहर जाने का ।

ये वो लड़के है जो अगस्त महीना  से ही मस्ती  करना स्टार्ट कर दिए थे   । सीढ़ियों के पीछे से दीवाल डाक कर बाहर निकल गए ।। इनमे कुछ लड़के थे । जो बहुत डर रहे थे सुमित मेकैनिकल, मोहसीन भी ये हाई स्कूल वाले लड़के थे। ग्रुप का सपोर्ट मिलने के कारण  डर दूर हो गया था । घूमते हुए इंदिरापुरम गए । ग्रुप होने के कारण डर बिल्कुल नही था । लड़के कुछ भी करने को तैयार थे । वही पे बाहर पार्क ये ऑल्टो की साइड मिरर इसलिए निकाल लिए की चेहरा देखकर हम लोग सेल्फी लेंगे। और वही पे   ये फ़ोटो  बोलकर कर खिंची गयी थी कि हम लोग जब कॉलज से पास आउट हो  जाएंगे और कही जॉब कर रहे होंगे । तो ये फोटो देखेंगे कभी  और याद करंगे की। कब हम  लोग पहली बार दीवाल डाक कर बहार गए थे ।

उसके बाद ये ग्रुप लौटकर सोमू ढाबा आया । वहाँ पे चाय ,कटिंग ,शुट्टा , व लोगों ने पकौड़ी वगैरा खाये ।। और हमारे कैशियर , अवनीश कुशवाहा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने सारा पेमेंट किये । बोले होस्टल में  हिसाब होगा ।

लड़के वहाँ से निकले कॉलज गेट के सामने आए । गेट सेक्युरिटी से वैसे भी बनती नही थी । बाहर जाने नही देते थे। लड़के सोचे आज मौका ही भी है । ईट , पत्थर चलाना स्टार्ट कर दिए गेट पे , जब तक कि सिक्योरिटी गेट खोलता लड़के तब तक वहां से भागते होस्टल के पीछे आ गए । इस वजह से भी तेजी दौड़कर आये ।की कही सेक्युरिटी होस्टल चेक करने न आ जाये ।  सिक्योरिटी कोई अंदाजा नही हुआ कि ये फर्स्ट ईयर वाले लड़के थे । सारा  ब्लेम सीनियर्स को लग गया कि सीनियर्स पत्थर  बाजी किये थे ।। इसके बाद तो लड़के मुन्ना को मदिरा पान पिलाकर  सेटिंग कर लिए थे । होस्टल के  लड़को का बाहर आना जाना बना रहा


 कुछ बातें सरदार जी के 


सरदार जी कौन भूलेगा इनको और इनकी आवाज को । जैसे ही साम में 8 बजते , सरदार मेश का दरवाजा  खोलकर तेजी से चिल्लाते , अब मैं कैसे लिखु की वो कैसे हम लोगो को बोलते थे कि खाना बन गया  आ जाओ। सरदार जी क्या क्वालिटी थी इनकी पूरे लड़को को खाना अक्सर अकेले ही बाटा करते थे ।
और ये याद ही होगा । जब सरदार पनीर बनाते थे तो  ग्रेवी अलग देते थे और , 5 पनीर के पीस गिनकर दे देते थे । उसके बाद अगर आपको सब्जी चाहिए तो सिर्फ ग्रेवी मिलती थी।
मुझे बहुत अच्छे से याद है । रविवार को दिन में खस्ते वाली पुड़िया व रायता ,सब्जी बनती थी । रविवार वाला खाना अच्छा रहता था । रविवार के खाने में लिमिटेशन रहती थी । केवल 8 पुड़िया मिलती थी । मजे की बात ये थी कि सरदार पहले 4 पूड़ी देते थे । उसके बाद 2,2  करके पुड़िया देते थे ।
सरदार जी इतने लड़को को खाना बाटते थे । इनको याद रहता था कि किसका कोटा पूरा हो गया है ।।


 होस्टल के कुछ पेटू लड़के ।।


होस्टल के कुछ ऐसे लड़के थे जिससे सरदार जी भी डरते थे कि ये कितना खाते है ये लड़के तो होस्टल के तीन चार लड़को के बराबर खा लेते थे । ये ही कुछ लड़के थे जिनको सरदार का खाना भाया था जिसमे सब ऊपर जयराज पांडेय, आशुतोष मौर्य , Pk प्रशांत मेकैनिकल, राजेश मौर्य , इसी तरह और भी कई लड़के थे । जो सरदार के खाने खाकर अच्छी खासी पर्सनालिटी बना लिए। कुछ ऐसे लड़के थे जिसको सरदार का खाना अपोजिट रियेक्ट किया , जैसे मुझे ।।
और भी इसी तरह बहुत  सारी fgp होस्टल , fgp कॉलज की दिलचस्प कहानियां है । जो मैं अपनी आगे आने वाली पोस्ट में लेकर आऊँगा।।  कुछ और यादें  फिरोज गांधी पॉलीटेकनिक की ।। 

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